• Home
  • Mates & Me
  • खामोशियां ही बेहतर हैं

खामोशियां ही बेहतर हैं

By: Priyanka Maheshwari Fri, 30 June 2017 5:48:29

खामोशियां ही बेहतर हैं

वे लोग रिश्ते निभाने में बहुत कामयाब होते हैं, जो कम बोलते हैं और ज्यादा सुनते हैं। उनकी बात में दम बना रहता है और छवि भी निखरती है। कम बोलने की आदत विकसित की जा सकती है।

ध्यान सुनने पर भी दीजिए

mates and me,relationship

दूसरा क्या कह रहा है, इस बात पर भी ध्यान दीजिए। कोशिश कीजिए कि बात पूरी सुनें, बीच में ना टोकें। जो लोग बहुत ज्यादा बोलते हैं वे अक्सर चुप रहने के दौरान भी ये सोचने में लगे रहते हैं कि अब उन्हें क्या बोलना है।ऐसे में वे सामने वाले की बात सुन ही नहीं पाते और उन बातों से हटकर बात करते हैं, जिससे तनाव उत्पन्न होने की संभावना रहती है।

संकेतों का इस्तेमाल करें

mates and me,relationship

बतूनी लोगों का तर्क होता है कि वे बीच में बोलकर यह साबित करते हैं कि वे सुन रहे हैं। लेकिन यह सब आंखों और सिर की हरकतों से भी जताया जा सकता है। अगर जरूरी लगे तो हम्म, जी हां जैसे छोटे-छोटे अनुमोदन शब्द बोलें।

विराम पर आप भी ठहरें

mates and me,relationship

कितनी हीे बार ऐसा होता है कि बातचीत के दौरान एक असहज सा विराम आ जाता है। जरूरी नहीं है कि हडबडाकर उस दौरान कुछ बोलने को बचा है क्या, जैसी बातों पर विचार करने से भी फायदा होता है।

पहले सोचें, फिर बोलें

mates and me,relationship

यह काफी पुराना तरीका है, लेकिन हमेशा कारगर साबित होता है। सोचकर बोलने से कई बार गैर जरूरी बात बोलने से बच जाते हैं। और बाद में पछताना भी नहीं पडता।

बातें बातों को बढाती हैं

mates and me,relationship

यह सच है कि शब्द कंठ में स्पंदन लाते हैं। जितना ज्यादा हम बोलेगें, उतना ही और बोलने का मन करेगा। लेकिन अधिक बोलना अनर्गल तक जाता है और नकारात्मकता फैलाता है। इसलिए कहा भी जाता है कभी कभी खामोशियां ही बेहतर है, रिश्ते निभाने के लिए,ज्यादा बोलने से लोग रूठते बहुत हैं।

About Us | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright ©2024 lifeberrys.com